आदरणीय भाईसाहब
सादर प्रणाम
आपके रोचक लेख को पढ कर मन सदा ही प्रसन्न हो जाता है एकाध फोटो जोड़ने से उत्साह और भी बढ जाता है ।
मिले सुर मेरा तुम्हारा
तो सुर बने हमारा ..
यह पंक्तियां सदा ही हमारे एक होने के संकेत देती है, सुरेन्द्रनाथ जी अवश्य ही धन्यवाद के पात्र है - अगर किसी को इस मधुर रचना की नैट पर कोई लिंक ज्ञात है तो यहा लिख भेजें ।
कल नागपुर में भारत की जीत से कुछ एक बातें उभर कर समने आती हैं -
1. आस्ट्रेलिया जैसी सशक्त टीम भी चोटिल खिलाड़ियों की परेशानी से बाधित हो सकती है ।
2. महेन्द्र सिंह धोनी उर्ह माही उर्फ़ धोनी भैया उर्फ़ कप्तान साहब .. (यह आखिरी मेरा अपना जोड़ा हुआ है ) ने एक बार फिर सिद्ध कर दिया है कि वे वस्तव में मात्र भाग्यशाली कप्तान ही नही एक प्रभावशाली कप्तान भी है ।
3. भारत ने सात विकेट पर 354 रन बनाकर, 350 रन से अधिक का लक्ष्य आस्ट्रेलिया जैसी टीम के विरुद्ध पहली बार यह अजूबा कर दिखाया है ।
4. प्रवीण कुमार को तेज गेंदबाज न कहें तो न कहें पर आस्ट्रेलिया के बल्लेबाजों को जिस तरह उन्होने बांधें रखा अपने आप में काबिले तारीफ है । धोनी भैया कम से कम अब तो मान जाओ कि वह एक अच्छा क्रिकेटर है ।
5. हरभजन सिंह की गेंदबाजी उस दौर से गुजर चुकी है जब वे बल्लेबाजों को छकाने में कामयाब हो सकें ।
6. अच्छी से अच्छी टीम के 350 से उपर का लक्ष्य देखकर हाथ पांव फूल जाते है ।
7. अगर टीम को अच्छी शुरुआत मिले तो भारत आसानी से 350 रन से अधिक बनाने में सक्षम है, अगर मै गलत नही हूं तो हमारी टीम इस मामले में आस्ट्रेलिया से भी आगे है ।
चलिये आज का पत्र यहीं समप्त करता हूं, सहवाग, गंभीर, धोनी, रैना, प्रवीण कुमार तथा रविंद्र जडेजा सब के सब ही मैन आफ दी मैच थे । टीम को एकजुट देखकर अत्यंत प्रसन्नता हुई ।
मेरा भी योगदान रहा, मैने कल भारतीय पारी 10.1ओवर के बाद इसलिये देखना छोड़ दी कि खिलाड़ियों को मेरी नज़र न लग जाये ।
आपका अपना अनुज
अभय शर्मा
29 अक्टूबर 2009
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